देवरहा बाबा का जीवन परिचय | देवरहा बाबा के चमत्कार

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भारत की धरती इतनी पवित्र है कि इसमें कई दिव्‍य संतों एवं महापुरुषों ने जन्‍म लिया है,  जिनके बारे में आप जानकर चकित रह जायेंगे ऐस ही एक दिव्‍य संत थे देवरहा बाबा,

जिन्‍हें आप योगी, तपस्‍वी, महात्‍मा, दिव्‍यात्‍मा या जो भी आपके मन में एक अच्‍छे व्‍यक्तित्‍व का निर्माण करता हो वो सभी शब्‍द आप उनके लिए प्रयोग कर सकते हैं।



इस लेख के माध्‍यम से आपको देवरहा बाबा का जीवन परिचय और उनके चमत्‍कार साथ ही उनके जीवन से जुड़ी अनेक ऐसी चमत्‍कारी घटनायें आपको पढ़ने को मिलेंगी इसलिए कृपया लेख पूरा पढ़ें।

देवरहा बाबा का जीवन परिचय
                                              देवरहा बाबा

देवरहा बाबा का कौन थे –

सिद्धि योग में जो शक्तियॉ हैं, उनका वर्णन पुराणों में विस्‍तार से है, लेकिन इसका जीता-जागता उदाहरण आपको देवरहा बाबा के रूप में मिल जाता है।

देवरहा बाबा अपनी उम्र, तप और सिद्धियों के बारे में कभी कोई दावा नहीं किया।

सहज, सरल और सादा जीवन जीने वाले देवरहा बाबा अपने भक्‍तों से बिना कुछ पूछे उनके मन की सारी बातें जान लेते हैं। इसे आप या चमत्‍कार करें या फिर उनकी साधना शक्ति।



ऋषि-मुनियों के देश भारत में ऐसे कई महान संत हुये हैं, जिन्‍हें दिव्‍य आत्‍मा कहा जाता है। ऐसी ही दिव्‍य आत्‍मा में से एक देवरहा बाबा बहुत ही सहज, सरल और शांत प्रवृत्ति के थे।

बाबा को बहुत ज्ञान था और उनसे मिलने के लिए देश दुनिया के बड़े-बड़े लोग आते थे, जिनके बारे में आपको आगे पढ़ने को मिलेगा।

देवरहा बाबा का जन्‍म-

बात की जाये अगर देवरहा बाबा के जन्‍म की तो यह एक अनसुलझा रहस्‍य ही रह गया, क्‍योंकि बाबा ने किसी भी इंटर व्‍यू या अपने किसी भी भक्‍त को अपने जन्‍म के बारे में कभी नहीं बताया।

लेकिन जब बार-बार उनसे पूछा जाता था तो वे मुस्‍कुरा कर वे यही जवाब दे दिया करते थे कि ‘बच्‍चा मेरी उम्र तुम नहीं जान पाओगे।’

लेकिन उनकी जटाओं से उनकी उम्र का अंदाजा लगाया जाये तो शायद 250 साल से लेकर 900 साल के बीच की रही होगी।

आप यह बात सुनकर चौंक गये होंगे कि कोई इंसान इतने वर्षों तक कैसे जी सकता है-

लेकिन यही प्रश्‍न जब उनके भक्‍त उनसे पूछते थे तो वे जवाब देते थे कि ‘बेटा यह सब अष्‍टांग योग व खेचरी मुद्रा का कमाल है।’ और इसमें एक हैरान कर देने वाली बड़ी बात तो यह है कि वो कभी भोजन नहीं करते थे।

वे यमुना का पानी पीते थे और दूध, शहद व श्रीफल के रस का सेवन करते थे। तो आपके मन में एक सवाल उठ रहा होगा कि ‘’क्‍या बाबा को भूख नहीं लगती थी’’ तो इस प्रश्‍न का उत्‍तर कई वैज्ञानिकों के अध्‍ययन में मिलता है।

एक अध्‍ययन के अनुसार यदि कोई व्‍यक्ति ब्रम्‍हाण्‍ड की उर्जा से शरीर के लिए आवश्‍यक एनर्जी प्राप्‍त कर ले तो उसे भूख नहीं लगती है।

साथ ही अगर कोई व्‍यक्ति ध्‍यान क्रिया, योग क्रिया, हठ योग क्रिया और संतुलित जीवन को अपनाये तो वो अधिक आयु तक जी सकता है। हालांकि अध्‍ययन के अनुसार तीनों चीजों का एक साथ होना आवश्‍यक है।



Devraha baba wikipedia in hindi

नामदेवरहा बाबा
जन्‍म स्‍थान—————-
उम्र250 साल से लेकर 900
आश्रम का पता मईल, जिला देवरिया, उत्‍तर प्रदेश
समाज को संदेश अपने जीवन को शुद्ध व पवित्र बनाओ

बाबा ना ही कभी धरती पर लेटे हैं। हमेशा एक लकड़ी के मचान में रहते थे, जो धरती से 12 फिट की उूंचाई पर होता था और उसी पर बाबा योग साधना किया करते थे।

देवरहा बाबा का जीवन परिचय
                                                                     देवरहा बाबा

सुबह स्‍नान करने के लिए ही बाबा मचान से नीचे आते थे। जब कभी उनसे कोई भक्‍त मिलने जाता था तो वे वही से अपने चरण को उस भक्‍त के सिर पर छुआ देते थे,

जिस भक्‍त को ऐसा आशीर्वाद मिलता था, उसके सौभाग्‍य का उदय हो जाता था।

इन्‍हीं सब हैरान कर देने वाली बातों में एक बात और जोड़ दीजिए कि वो कभी कपड़ा नहीं पहनते थे, चाहे जितनी ठंडी हो या चाहे जितनी गर्मी हो। हमेशा बाघ की छाल को लपेटे रहते थे।

यह तो सिर्फ भक्‍तों द्वारा देखी गयी घटना है, लेकिन इससे पहले कई सैकड़ों वर्ष उन्‍होंने हिमालय में तपस्‍या की है, जिसका कोई अनुमान नहीं है।

देवरहा बाबा की सिद्धियॉ-

बाबा, महर्षि पतंजलि द्वारा प्रतिपादित अष्‍टांग योग में पारंगत थे। हठ योग की दसों मुद्राओं में पारंगत थे,

जिसके कारण वो कहीं भी पल भर में आ-जा सकते थे। उनके भक्‍तों के द्वारा कहा जाता था कि बाबा एक साथ दो अलग-अलग जगहों पर उपस्थित हो सकते हैं।

बाबा को कई सिद्धियॉ भी प्राप्‍त थी, जो इस प्रकार हैं-

  • जिसमें एक सिद्धि पानी में बिना सांस के रहने की,
  • दूसरी जंगली जानवरों की भाषा समझ लेते थे। और खतरनाक जंगली जानवरों को पल भर में काबू कर लेते थे। जो एक सामान्‍य मनुष्‍य के वश की बात नहीं है।
  • तीसरी खेचरी मुद्रा में उनको महारथ हासिल थी, जिसके कारण बाबा आवागमन करते थे, हालांकि बाबा को किसी ने आते-जाते नहीं देखा। खेचरी मुद्रा से ही बाबा अपनी भूख व उम्र पर नियंत्रण करते थे।
  • बाबा के अनुयायियों के अनुसार बाबा को दिव्‍य द्रष्टि की सिद्धि प्राप्‍त थी, बाबा बिना कुछ कहे-सुने ही अपने भक्‍तों की समस्‍याओं और उनके मन में चल रही बातों को जान लिया करते थे। उनकी याददास्‍त इतनी अच्‍छी थी कि दसकों बाद भी किसी व्‍यक्ति से मिलते थे तो उसके पूरे घर की जानकारी और इतिहास बता दिया करते थे।
  • बाबा हठ योग की दसों मुद्राओं में पारंगत थे। साथ ही ध्‍यान योग, नाद योग, लय योग, प्राणायम, त्राटक, ध्‍यान, धारणा, समाधि आदि पद्धतियों का भरपूर ज्ञान था, जिससे बड़े-बड़े विद्वान उनके योग ज्ञान के सामने नतमस्‍तक हो जाया करते थे।

देवरहा बाबा का जन्‍म स्‍थान-

आपने अभी उूपर पढ़ा ही होगा कि उनके जन्‍म व जन्‍म स्‍थान का कोई पता नहीं है, लेकिन हिमालय से साधना करने के पश्‍चात जब बाबा अपने भक्‍तों के बीच रहने आये



तो उन्‍होंने अपना निवास स्‍थान पहले तो उत्‍तर प्रदेश का देवरिया जिला चुना और अपने जीवन के अंत समय में वे मथुरा में यमुना नदी के किनारे रहे।

बाबा उत्‍तर प्रदेश के देवरिया जिले में सलेमपुर तहसील के मइल गॉव में स्थित सरयू नदी के किनारे (जहॉ भगवान विष्‍णु ने अपने सांतवे अवतार श्री राम को त्‍याग कर वैकुण्‍ड के लिए प्रस्‍थान किया था) मचान में निवास करते थे।

देवरहा बाबा की उम्र-

उपर की पंक्तियों में आपने पढ़ा ही होगा कि बाबा की उम्र का कोई निश्चित पता नहीं है, लेकिन एक अनुमानित 250 साल से लेकर 900 साल के बीच बाबा की उम्र रही है।

देवरहा बाबा का जीवन परिचय
देवरहा बाबा

बाबा की उम्र के विषय में सबसे आश्‍चर्यजनक तथ्‍य यह है कि उनके कुछ भक्‍त बताते हैं कि बाबा हमेशा एक जैसे रहे। एक इंसान जो बाबा से कई वर्ष पहले मिलने आया था

और वही इंसान कई वर्ष बाद जब बाबा से मिलने जाता था तो देखता था कि बाबा कई साल पहले जैसे थे, वैसे ही आज हैं। उनकी उम्र नहीं बढ़ती थी।

देवरहा बाबा के प्रवचन-

देवरहा बाबा भगवान राम के भक्‍त थे। देवरहा बाबा के मुख से हमेशा राम नाम निकलता था। बाबा भक्‍तों को राममंत्र की दीक्षा दिया करते थे। उनका कहना था कि

‘एक लकड़ी हृदय को मानो, दूसर राम नाम पहिचानो

राम नाम नित उर पे मारो, ब्रम्‍हा दिखे संशय न जानो।’

देवरहा बाबा प्रभु श्री राम और श्री कृष्‍ण को एक मानते थे और भक्‍तों को कष्‍ट से मुक्ति के लिए कृष्‍ण मंत्र भी देते थे।

‘उं कृष्‍णाय वासुदेवाय हरये परमात्‍मने

प्रणत: क्‍लेश नाशाय गोविंदाय नमो नम:।‘

बाबा का कहना था कि जीवन को पवित्र बनाये बिना ईमानदारी, सात्विकता, सरसता के बिना भगवान नहीं मिलते। इसलिए सबसे पहले अपने जीवन को शुद्ध व पवित्र बनाओ।

बाबा वैसे तो कोई नियमित प्रवचन नहीं करते थे, लेकिन एक बार तीर्थराज प्रयाग में महाकुंभ के अवसर पर सन 1889 में विश्‍व हिन्‍दु परिषद के मंच से संदेश दिया-

कि ‘दिव्‍य भूमि भारत की समृद्धि, गौरक्षा व गौसेवा के बिना संभव नहीं होगी। गौहत्‍या का कलंक मिटाना अतिआवश्‍यक है।’

बाबा गौसेवा व गौरक्षा के पुरजोर समर्थक थे। ऐसे ही उन्‍होंने श्री राम मंदिर के लिए भविष्‍यवाणी की थी जो अंततोगत्‍वा सच साबित हुयी।

देवरहा बाबा के भक्‍त-

बात की जाये बाबा के भक्‍तों की तो देश दुनिया के लाखों ऐसे भक्‍त है, जिनका नाम लेना संभव नहीं है, लेकिन कुछ ऐसे भक्‍त हैं जिनके बारे में आप अच्‍छी तरह से जानते होंगे।

ब्रिटिस शासक जार्ज पंचम 1911 में जब भारत आया था तो वो बाबा से मिलने देवरिया गया था।

पूर्व राष्‍ट्रपति डॉ राजेन्‍द्र प्रसाद, महामना मदन मोहन मालवीय, पूर्व प्रधान मंत्री लेाल बहादुर शास्‍त्री, इंदिरा गॉधी, राजीव गॉधी,

अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व ग्रह मंत्री भूटा सिंह जैसी महान राजनीतिक हस्तियॉ उनके भक्‍त थे।

लेकिन इन सब में जो बाबा के सबसे निकट भक्‍त थे उनका नाम था मार्कण्‍डेय महाराज। जिन्‍होंने बाबा की लगभग 10 साल सेवा की।

इसके अतिरिक्‍त फिल्‍मी दुनिया की कई नामचीन हस्‍तियॉ और बड़े-बड़े अधिकारी भी बाबा की भक्‍त रहे हैं, जो समय-समय पर बाबा से आशीर्वाद लेने जाया करते थे।

देवरहा बाबा के चमत्‍कार-

बाबा तो हर पल हर क्षण चमत्‍कार किया करते थे, लेकिन कुछ प्रसिद्ध चमत्‍कार आपके लिए प्रस्‍तुत कर रहा हॅू-

१»   देश के प्रथम राष्‍ट्रपति डॉ राजेन्‍द्र प्रसाद के कथनानुसार जब वे बचपन में अपने माता पिता के साथ बाबाजी के दर्शन करने गये थे तो बाबा देखते ही बोल पड़े कि यह बच्‍चा तो राजा बनेगा।

तो डॉ राजेन्‍द्र प्रसाद राष्‍ट्रपति बनने के बाद बाबा को पत्र लिखकर धन्‍यवाद कहा और वर्ष 1954 में प्रयाग राज के कुंभ में बाबा का सार्वजनिक पूजन भी किया था।

» एक बड़ी ही रोचक घटना है इेलाहाबाद हाईकोर्ट के एक वकील ने जो बाबा के भक्‍त थे दावा किया था कि बाबा अपने शरीर त्‍यागने का समय 05 वर्ष पहले ही बता दिया था।



३»  देश में आपातकाल के बाद चुनाव हुये तो इंदिरा गॉधी हार गयी थी और उनकी जमानत जप्‍त हो गयी थी, जिसके बाद इंदिरा गॉधी देवरहा बाबा से आशीर्वाद लेने गयी-

और उनसे कहा कि हमारी पार्टी का चुनाव चिन्ह बाबा जी बतायें तब बाब ने हाथ उठाकर इंदिरा जी को आशीर्वाद दिया था

और उसके बाद इंदिरा गांधी ने हाथ का पंजा पार्टी का चुनाव चिन्‍ह रखा। उसके बाद इंदिरा गॉधी को देश में प्रचंड बहुमत प्राप्‍त हुआ था और वे प्रधानमंत्री बनी थी।

४»  बाबा का निर्जीव वस्‍तुओं पर नियंत्रण था और बाबा पेड़-पौधों से बातें किया करते थे।

उनके आश्रम में बबूल के पेड़ लगे हुये थे, लेकिन उनमें कांटे नहीं होते थे और तो और उनके आश्रम में लगे बबूल के पेड़ खुशबू भी बिखेरते थे।

देवरहा बाबा का जीवन परिचय
   देवरहा बाबा

५»  राजीव गॉधी बाबा के बहुत बड़े भक्‍त थे। एक बार राजीव गॉधी बाबा का आर्शीवाद लेने उनके आश्रम आना चाहते थे, जिसकी उनके अधिकारियों ने विधिवत योजना तैयार की।

राजीव गॉधी के आने से पहले उनके अधिकारी सुरक्षा का जायजा लेने बाबा के आश्रम आये तो आश्रम के पास एक ऐसा बबूल का पेड़ था,

जिसे सुरक्षा कारणों से काटना अति आवश्‍यक था, जब बाबा को इस बारे में पता चला तो उन्‍होंने अधिकारियों को बुलाकर कहा कि यह मेरा मित्र है मैं इससे बातें करता हॅू, इस बेचारे का क्‍या दोष है जो इसे काटा जा रहा है

इस पेड़ को मत काटो जाओ तुम्‍हारे प्रधानमंत्री का दौरा रद्द हो जायेगा और यह कहने के कुछ देर बाद ही वहॉ मौजूद अधिकारियों को सूचना प्राप्‍त हुयी कि प्रधानमंत्री राजीव गॉधी का दौरा रद्द हो गया है

उसके बाद सारे अधिकारी बाबा को प्रणाम करके वापस चले गये।

 बाबा का प्रसाद देने का तरीका बहुत ही अचंभित कर देने वाला होता था। जब भी कोई भक्‍त, बाबा से प्रसाद की मांग करता तो बाबा अपने मचान पर बैठे-बैठे ही मचान की खाली जगह पर हाथ रख देते थे

तो कुछ देर बाद बाबा की मुट्ठी में मिठाई, फल या मेवा आदि अपने आप ही आ जाया करते थे, जिसे बाबा अपने भक्‍तों में बांट दिया करते थे।

देवरहा बाबा की महासमाधि

बाबा अपने शरीरिक जीवन के अंतिम दिनों में मथुरा चले गये थे और अंत समय तक वही निवासरत रहे।

भक्‍त बताते हैं कि संवत् 2047 की योगिनी एकादशी यानी 19 जून सन् 1990 मंगलवार के दिन अचानक प्रकृति ने अपना स्‍वभाव बदलना शुरू कर दिया,

पशु पक्षी व्‍याकुल होकर तरह-तरह की आवाजें करने लगे, आसमान में काले बादल कुछ इस प्रकार से छा गये कि दिन में ही रात हो गयी और जोरदार बारिश होने लगी,



क्‍योंकि अब समय आ गया था कि एक महान योगी और तपस्‍वी इस मृत्‍यु लोक से विदा लेकर अपने परमात्‍मा में लीन हो जाये

और उसी समय योगीराज परमहंस देवरहा बाबा ने जल समाधि ले ली। बाबा ने भले ही अपने शरीर का त्‍याग कर दिया हो, परंतु यह ध्‍यान रहे कि ऐसे महान तपस्‍वी अमर होते हैं जो कभी अपने भक्‍तों को छोड़कर नहीं जाते हैं,

वे अपने भक्‍तों पर अपनी दया दृष्टि हमेशा बनाये रखते है, क्‍योंकि उनके जल समाधि लेने के बाद भी कई भक्‍तों को बाबा की अनुभूति हुयी है।



देवरहा बाबा का आश्रम पता 

बाबा के आश्रम का पता है-:

ब्रम्‍हर्षि योगिराज देवरहा बाबा मंच आश्रम, मईल, जिला देवरिया, उत्‍तर प्रदेश।

आप आसानी से इस स्‍थान तक जा सकते हैं।

चलते-चलते

अगर आप ऐसे ही किसी और महापुरुष का जीवन परिचय जानना चाहते हैं तो कमेंट करें। लेख पढ़ने के लिए आपका धन्‍यवाद।

आपको इस प्रश्‍न का जवाब लेख में मिल ही गया होगा देवरहा बाबा का जीवन परिचय। आपको यह जानकारी कैसे लगी, कमेंट करके बतायें।


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