Neem Karoli Baba ki Jivani भारत देश के एक ऐसे बाबा से परिचर होगा, जिसे आप बाबा भी कह सकते हैं, भगवान का अवतार भी कह सकते हैं और संत भी कह सकते हैं। जो भारत में ही नहीं, अपितु पूरे विश्व में उनकी ख्याति थी।
वैसे तो भारत में बाबाओं की पहचान उनके बड़े-बड़े आश्रमों से होती है, लेकिन ये ऐसे बाबा थे जो आश्रमों के खिलाफ थे आश्रमों के खिलाफ होने के साथ-साथ ये शिष्य प्रथा के भी खिलाफ थे। वैसे देवरहा बाबा भी एक ऐसी ही संत थे।
शायद आप नाम सुने हों और यदि न सुने हों तो आज आप उनके बारे में जान जोयेंगे। बाबा का नाम था नीम करोली बाबा। आइये नजर डालते हैं उनके Neem Karoli Baba ki Jivani बारे में-
Neem Karoli Baba ki Jivani
› नीम करोली’ नाम ये विदेशी भक्तों में ज्यादा प्रचलित था जबकि उनके बचपन का नाम लक्ष्मी नारायण र्श्मा था
और जन्म उनका सन् 1900 के आसपास उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गॉव में एक ब्राम्हण परिवार में हुआ था।
› पिता का नाम श्री दुर्गा प्रसाद शर्मा था और बाबा को कई नामों से जाना जाता था, जिनसे जुडी रोचक कथाओं के बारे में आगे आपको जानकारी मिलेगी।
› शिक्षा- अकबरपुर के किरहीन गॉव में प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा हुई
› विवाह- उनका विवाह मात्र 11 वर्ष की उम्र में हो गया था।
› 60 और 70 के दशक में भारत आने वाले बहुत से अमेरिकयिों के गुरू के रूप में वे ज्यादा जाने जाते हैं। लेकिन महाराज जी ने अपनी शादी के तुरंत बाद घर छोड दिया-
› और गुजरात चले गये करीब 10-15 साल बाद उनके पिता को किसी ने बताया कि उसने उत्तर प्रदेश के फरूखाबाद जिले के नीब करोली गॉव (जिसका नाम बदलकर नीम करोली हो गया) में एक साधू देखा, जिसकी शक्ल उनके बेटे से मिलती है।
› उसके बाद पिताजी के बार-बार कहने पर उन्होंने सन्यास के बाद ग्रहस्थ में प्रवेश किया और कुछ समय ग्रहस्थ में बिताया, लेकिन उनका मन ग्रहस्थ में नहीं लगा और सन 1998 में पुन घर त्याग दिया।
› इस बार उन्होंने अपना तपोस्थल उत्तराखंड के नैनीताल से लगभग 17 किलोमीटर अल्मोडा नैनीताल रोड पर बनाया, जो बाद को कैंची धाम के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
उसी के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष 15 जून को कैंची धाम में मेला लगता है ।
यह बात बहुत ही कम लोग जानते हैं कि उनको (नीम करोली बाबा को) 17 वर्ष की आयु में ज्ञान प्राप्त हो गया था
› उनके कई ऐसे प्रसिद्ध शिष्य हुये हैं, जिनका नाम जानकर आप हैरान हो जायेंगे वो भारत के नहीं अपितु विदेशों के हुये हैं,
जिसमें पहला नाम आता है एप्पल के सीईओ स्टीब्स जॉब्स का उसके बाद फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग का और ऐसे अनगिनत शिष्य हुये हैं,
जिनमें से एक के बारे में आप जानें कि बाबा के विषय में उसने क्या कहा।
नीम करोली बाबा के चमत्कार
चमत्कार 1-
नीम करोली बाबा के रामदास अमेरिका से भारत आया वो इतना बडा नशेबाज था कि एक दिन में दो-तीन एलएसडी (नशा करने की सबसे तीव्र दवा) निगल जाता था।
एक दिन वो Neem Karoli Baba के पास गया, जो असाधारण काबिलियत के धनी एक अदभुत गुरू थे वे दिव्यदर्शी एक बहुत काबिल तांत्रिक एक असाधारण व्यक्ति और हनुमानजी के भक्त थे।
वो बाबा के पास आया और बोला कि मेरे पास एक असली माल है जो स्वर्ग का आनंद देता है
आप इसे खांये तो ज्ञान के सारे दरवाजे खुल जाते हैं क्या आप इसके बारे में कुछ जानते हैं नीम करोली बाबा ने पूछा ये क्या है मुझे बताओ।
उसके पास 300 नशे की गोलियॉ थी और वो बाबा की परीक्षा लेने के लिए बाबा को 300 गोलियॉ दे दिया बाबा ने 300 गोलियॉ मुंह में डाली और निगल गये
फिर वो बैठे और अपना काम करते रहे रामदास वहॉ इस उम्मीद से बैठा रहा कि ये आदमी अभी मरने वाला है,
मगर नीम करोली बाबा पर नशीली दवाओं का कोई असर नहीं दिखा वो काम करते रहे उनका मकसद बस रामदास को ये बताना था
कि तुम एक फालतू सी चीज पर अपना जीवन बर्बाद कर रहे हो, ये चीज तुम्हारे किसी काम आने वाली नहीं है।
फिर रामदास बाबा Neem Karoli Baba का शिष्य बन गया और उसने बाबा पर एक किताब लिखी, जिसका नाम मिड नाइट बिद दा मिस्टिक है, जिसमें उसने इस चमत्कार का जिक्र किया है।
बाबा पूरे भारत में भ्रमण करते रहे और वो कई नामों से प्रसिद्ध हुये जिनमें से उनहें कुछ लोग तलैया वाला बाबा, हांडी वाला बाबा, लक्ष्मणदास, तिकोनिया वाला बाबा, चमत्कारी बाबा आदि नामों से भक्त उनके पुकारते थे।
भारत भ्रमण के दौरान बाबा अपने भक्तों को संदेश देते रहे और उस दौरान उन्होंने कई ऐसे चमत्कार किये कि उनकी ख्याति भारत में ही पूरे विश्व में फैल गयी।
उनकी कई ऐसी रोचक कथायें या चमत्कार हैं जिसमें एक बडी ही अदभुत कथा का आगे वर्णन किया गया है
चमत्कार 2-
एक बार बाबा टे्रन से यात्रा कर रहे थे और उनके पास टिकट नहीं था, जब टीटी जब टिकट चेक करने आया और बाबा से बोला कि टिकट दिखाओ तो
उन्होंने मुस्कुराते हुये कहा कि मेरे पास टिकट नहीं है तब टीटी बाबा को टे्रन से उतार देता है। ट्रेन से बाबा उतर के प्लेटफार्म में एक खंभे से टिककर बैठ जाते हैं
उसके बाद ट्रेन चलने के लिए झंडी दिखाई जाती है, लेकिन ट्रेन आगे नहीं बढती फिर पुन प्रयास किया जाता है
और उसके इंजन में कुछ रिपेयरिंग भी की जाती है तब भी ट्रेन आगे नहीं बढती है ये सिलसिला बहुत देर तक चलता रहा है
उसके बाद टीटी को ये याद आता है कि जब से मैंने इस बाबा को उतारा है तब से ट्रेन आगे नहीं बढ रही है
तब टीटी प्लेटफार्म में बैठे बाबा के पास जाता है और बाबा से क्षमा मांगता है और बाबा को ट्रेन में बैठने के लिए कहता है।
बाबा ट्रेन में बैठने से पहले टीटी को एक शर्त स्वीकार करने के लिए कहते है और वो शर्ता होती है कि अब आगे से किसी
ऐसे साधू या बाबा, जो बिना टिकट होगा, उसे ट्रेन से नहीं उतारा जायेगा, ये शर्त टीटी द्वारा स्वीकार कर लेने के बाद बाबा ट्रेन में बैठते हैं
बाबा जैसे ही ट्रेन में बैठते हैं ट्रेन चल पडती है। तब से उस स्टेश्न का नाम नीम करोली स्टेश्न रख दिया गया जो फरूखाबाद जिले में आता है।
बाबा अपने भक्तों को समय-समय पर चमत्कार दिखाते रहे।यदि आप अपने जीवन में दिशाहीन हैं या किसी कष्ट से पीडित हैं तो आप अपना संदेश बाबा को अपने अंतकरण से बाबा तक पहंचा सकते हैं
क्योंकि बाबा हमेशा कहा करते थे कि मैं कभी भी यहां से नहीं गया मैं यहीं हूॅ आप सब के बीच में ।
नीम करोली बाबा के विचार
बाबा ने एक भारतीय लडकी से चार बार पूछा कि तुम्हें आनंद पसंद है या दुख हर बाद लडकी ने जवाब दिया मैंने कभी आनंद महसूस ही नहीं किया महराज जी बस दुख ही महसूस किया है।
आखिर में महराज जी बोले मुझे दुख पसंद है ये मुझे भगवान के पास ले जाता है। भारत में योग लोगों की रगो में बहता है।अगर आप अपनी मौत के समय एक आम की इच्छा करेंगे तो आप कीडे के रूप में जन्म लेंगे अगर आप अगली सांस की भी इच्छा रखेंगे तो आप दोबारा जन्म लेंगे- नीम करोली बाबा।
कैंची धाम कहां पर है
अगर आपको नैनीताल के कैंचीधाम में जाने का अवसर मिले तो वहॉ हनुमानजी के मंदिर के पीछे एक नदी बहती है
आप वहॉ कुछ समय बितायें और बाबा को महसूस करें तो बाबा आपको अपने होने की अनुभूमि जरूर महसूस करायेंगे।
कैंची धाम उत्तराखंड के नैनीताल जिला मुख्यालय से 31 किलोमीटर दूर है जहॉ आपको साधन सुगमता से मिल जायेंगेा
यदि आप दिल्ली से यात्रा तय करते है तो नैनीताल के पास काठगोदाम रेल्वे स्टेशन है वहॉ से आप आसानी से आटो या बस से कैंची धाम पहंच सकते हैं
और यदि आप हवाई मार्ग से जाना चाहते हैं तो पंतनगर सबसे निकट एयरपोर्टै है जो कैंचीधाम से 72 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
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नीम करोली बाबा के अंतिम स्थान
नीम करोली बाबा ने अपने जीवन के अंतिम समय को व्रन्दावन में बिताया और वो 11 सितम्बर 1973 को अपना शरीर व्रन्दावन के आश्रम में त्याग दिये।
ये आश्रम व्रन्दावन की परिक्रमा मार्ग में स्थित है जो अटाला चुंगी के निकट है आप कभी व़न्दावन जायें तो उस आश्रम में जा सकते हैं वहॉ बाबा का स्माधी स्थल है |
नीम करोली बाबा के वे भक्त जो हमेशा उनके निकट रहते हैं वे बाबा को हनुमानजी का अवतार मानते थे इस बात की पुष्टि इस कहानी से होती है|
नीम करोली बाबा की लीला
एक बार बाबा Neem Karoli Baba अपने आश्रम में बैठे हुये थे तभी वो अपने एक भक्त से बोले कि जा रामायण उठाकर ला तो उनका भक्त दौडकर रामायण उठा लाया
उसके बाद बाबा बोले कि मेरी वो कहानी पढ जब मैं माता जानकी से मिलने अशोक वाटिका में गया था तब भक्त रामारण के लंका कांड में से अशोक वाटिका का वो सारा द़श्य चौपाइयों के रूप में बाबा को पढकर सुनाने लगा
और बाबा ऑख बंद करके बडे ही शांत मन से सुनते हुये रोने लगते है बाबा की यह दशा देखकर उनके आसपास के सभी
लोग दंग रह गये और सभी बाबा को दंडवत प्रणाम करने लगे तब से बाबा को हनुमानजी का अवतार कहा जाने लगा ।
और कहा भी क्यों न जाये यह कथा पढने के बाद तो आप भी यही मानने लगे होगें कि बाबा वास्तव में श्री हनुमानजी महाराज के ही अवतार थे।
Neem Karoli Baba के द्वारा कई ऐसी बातें कही गयी जो समाज के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं जिनमें से आपको जो सबसे अच्छी लगेगी वो यह कि ईश्वर के प्रेम को छोडकर, सब कुछ अस्थायी हैा
चलते-चलते
अगर आपको बाबा का कोई चमत्कार याद है तो वो भी बताये हम उसको कथा स्टार में आपके नाम के साथ प्रकाशित करेंगे आप कथा स्टार के यूटयूब चैनल से भी जुड सकते हैं।
यह लेख पढने के लिए आपका धनयवाद| आपको Neem Karoli Baba ki Jivani कैसी लगी हमें कमेंट बॉक्स में बतायें
बहुत ही सुंदर बाबा सबकी मनोकामना पूरी करे
बाबा की जय हो
जय श्री राम
जय नीम करोली बाबा जी की
हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे