Ayurveda vs Allopathy in Hindi | आयुर्वेद और एलोपैथी में अंतर

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इस समय देश में Ayurveda VS Allopathy और ima vs ramdev in hindi की बहस जोरों से चल रही है जिसमें कोई यह बताने की कोशिश कर रहा है कि

आयुर्वेदिक दवा, एलोपैथिक दवा से ज्‍यादा कारगर है या फिर कोई यह कह रहा है कि एलोपैथिक दवा, आयुर्वेदिक दवाओं से ज्‍यादा कारगर है।



तो इसमें आखिर सच्‍चाई क्‍या है वही इस लेख में हम आपको बताने की कोशिश करेंगे। साथ ही Ayurveda VS Allopathy में मेरी राय क्‍या है, यह भी मैं आपको बताउंगा।

Ayurveda vs Allopathy

IMA vs Ramdev in Hindi

सबसे पहले आप यह जान लीजिए कि आखिर यह बहस शुरु कैसे हुयी तो हुआ यूं‍ कि कुछ दिन पहले बाबा रामदेव का एक वीडियो वायरल हुआ था

जिसमें उन्‍होंने कहा था कि ‘मॉडर्न एलोपैथी एक ऐसी स्‍टूपिड और दिवालिया साइंस है’

इस वक्‍तव्‍य पर ima ने कड़ी नाराजगी जताई और बाबा रामदेव से अपने शब्‍द वापस लेने को कहा इसके साथ-साथ

ima ने भारत सरकार के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री से भी इस बात को लेकर गहरी नाराजगी दर्ज करायी जिसके बाद बाबा रामदेव ने ट्वीट करके अपने बयान पर खेद जताया।



लेकिन कुछ दिन बाद उन्‍होंने यह बात कहते हुये बहस छेड़ दी कि कोरोना के 90% मरीजों का इलाज घर में ही हुआ है

और ज्‍यादातर लोगों ने आयुर्वेदिक औषधियों का उपयोग स्‍वस्‍थ रहने के लिए किया है। जिस पर फिर से  ima ने नाराजगी व्‍यक्‍त की और उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज कराने के लिए कहा।

इन्‍हीं सब बातों को लेकर देश में Ayurveda VS Allopathy की एक बहस चालू हो गयी तो ऐसे में आपको इन दोनों में से क्‍या अपनाना चाहिए इस लेख के माध्‍यम से मैं आपकी मदद करने की कोशिश करूंगा।

लेकिन सबसे पहले जान लेते हैं कि

आयुर्वेद क्‍या है | What is ayurveda

अगर बात की जाये आयुर्वेद की तो यह भारत की सबसे पुरानी चिकित्‍सा पद्धति है जिसके माध्‍यम से हमारे ऋषि मुनि रोगियों का इलाज किया करते थे।

आयुर्वेद के बारे में विस्‍तृत जानकारी आपको सुश्रुत संहिता चरक संहिता आदि ऐसे महान ऋषियों के द्वारा लिखे गये ग्रंथों में मिल जायेगी।

इन ग्रंथों में जो भी जानकारी आयुर्वेद के बारे में दी गयी है, उसको अगर एक वाक्‍य में कहना हो तो वो यही है कि

प्रकृति के द्वारा जो भी हमें इस धरती पर दिया गया है उसका स्‍वस्‍थ रहने के लिए कैसे उपयोग करना है

 यही आयुर्वेद की मूल धारणा है। इसी से हमारे ऋषि मुनियों का यह कहना था कि दवा के लिए अपने आस पास की जो भी खाद्य वस्‍तुयें हैं उनसे अपने स्‍वास्‍थ्‍य को स्‍वस्‍थ रखा जा सकता है।

आइये अब जान लेते हैं कि एलोपैथी क्‍या है | What is allopathy

एलोपैथी, आधुनिक विज्ञान की एक खोज है, जो पश्चिमी देशों के द्वारा खोजी गयी है और अब पूरे विश्‍व में मान्‍यता प्राप्‍त चिकित्‍सा पद्धति बन गयी है।



इसका सबसे लोकप्रिय होने का कारण यह है कि अंग्रेजी दवाइयां बहुत जल्‍दी असर दिखाती हैं और कुछ ही समय में स्‍वास्‍थ्‍य को लाभ देती हैं

इसके साथ-साथ जो बीमारियॉ बड़ी होती हैं उनको सर्जरी के माध्‍यम से कुछ ही दिनों में सही कर दिया जाता है।

इसलिए आपको मेडिकल स्‍टोर में ज्‍यादातर मिलने वाली दवायें एलोपैथिक या फिर अंग्रेजी दवायें होती हैं।

आयुर्वेदिक के लाभ | Benefits of Ayurveda

  • यह हमारे पूर्वजों के द्वारा खोजी गयी बहुत पुरानी और सरल चिकित्‍सा पद्धति है
  • इस पद्धति के द्वारा ज्‍यादातर इलाज अपने घर में रहकर ही किया जा सकता है।
  • यह चिकित्‍सा पद्धति मौजूदा समय में सबसे सस्‍ती चिकित्‍सा पद्धति है।
  • आयुर्वेदिक औषधि का उपयोग करने से कोई भी साइड इफेक्‍ट नहीं होता है।
  • इस पद्धति के द्वारा शरीर के ज्‍यादातर रोगों का इलाज एक ही औषधि के द्वारा किया जा सकता है।

आयुर्वेदिक की हानि | Disadvantages of Ayurveda

  • यह पद्धति काफी पुरानी होने के बावजूद भी आधुनिक समय में प्रमाणित नहीं है।
  • इस पद्धति से गंभीर बीमारियों का जैसे सर्जरी, हडि्डयों को जोड़ना आदि का इलाज नहीं किया जा सकता।
  • मौजूदा समय में आयुर्वेदिक अस्‍पताल और आयुर्वेदिक डॉक्‍टरों की संख्‍या बहुत कम है।
  • इस पद्धति में रोगी के अंदरूनी रोग का तब तक पता नहीं लगाया जा सकता जब कि संपूर्ण लक्षण उभर कर सामने न आ जायें।

एलेपौथिक चिकित्‍सा के लाभ | Benefits of Allopathy

  • इस चिकित्‍सा में रोगी को तुरंत लाभ होता है।
  • एलोपैथिक चिकित्‍सा में गंभीर से गंभीर बीमारी को सर्जरी व ऑपरेशन के माध्‍यम से ठीक किया जा सकता है।
  • शरीर के अंदर पनपने वाले रोग को उसके शुरुआती समय में ही पता लगाकर उसका इलाज इस पद्धति के द्वारा किया जाता है।
  • आपातकालीन स्थिति जैसे हाई ब्‍लड प्रेशन, लो ब्‍लड प्रेशर, हार्ट अटैक, ब्‍लॉकेज, वाहन दुर्घटना आदि का तुरंत इलाज एलोपैथी पद्धति में काफी हद तक संभव है।

एलेपौथिक चिकित्‍सा से हानि | Disadvantages of Allopathy

  • एलोपैथिक दवा का ज्‍यादा सेवन करने से शरीर में विषाक्‍त तत्‍वों की मात्रा बढ जाती है जिससे अन्‍य रोग भी हो सकते हैं।
  • अंग्रेजी दवा का ज्‍यादा यूज करने से लीवर बुरी तरह से प्रभावित होता है।
  • कभी-कभी अंग्रेजी दवा रियेक्‍शन कर जाती हैं, जिससे त्‍वचा को बहुत हानि होती है।
  • इस पद्धति से ज्‍यादातर इलाज मंहगे होते हैं, जिससे कम आय वाले लोगों को इलाज कराने में परेशानी होती है।
  • एलोपैथी की दवा एक बार में एक ही रोग का इलाज करती है।    

एलोपैथिक और आयुर्वेदिक के बीच का अंतर | Difference between Ayurveda and Allopathy

1# एलोपैथी दवाइयों का मौजूदा समय में प्रमाणिक रिसर्च है, जबकि आयुर्वेद की औषधि का अभी कोई क्‍लीनिकल प्रमाण नही है।

2# एलोपैथी दवा, आयुर्वेदिक औषधि की अपेक्षा महंगी होती है, जबकि आयुर्वेदिक औषधि सस्‍ती होती है।  



3 #अंग्रेजी दवा बीमारियों में तुरंत असर दिखाती है, जबकि आयुर्वेदिक औषधि बीमारियों में धीरे असर करती है।

4# एलोपैथी की दवाइयों के साइड इफेक्‍ट होने की बहुत ज्‍यादा सम्‍भावना होती है, जबकि आयुर्वेदिक औषधि में कोई साइड इफेक्‍ट नही होते हैं।

5# मौजूदा समय में एलोपैथी के अस्‍पताल और डॉक्‍टर ज्‍यादा संख्‍या में हैं, जबकि वही आयुर्वेदिक के अस्‍पतालों की सख्‍या ना के बराबर है।

इस विवाद में मेरी राय | My opinion 

जहां तक मेरी राय की बात है तो मैं यही कहना चाहूंगा कि जिन भी लोगों ने इस विवाद को शुरू किया है, चाहे वे आयुर्वेद का पक्ष रखने वाले हों या फिर एलोपैथी का,

उन सभी लोगों का अपना एक निहित स्‍वार्थ है, जिससे वो ज्‍यादा से ज्‍यादा अपने व्‍यापार को बढा सकें।

ऐलोपैथी में आप सभी, कभी न कभी सुनते होगें या फिर आपके साथ कभी न कभी कुछ ऐसी घटनायें हुयी होगी, जिसमें छोटी बीमारी को भी बडा बताकर मोटी रकम वसूली जाती है।

और वही अगर आयुर्वेद की बात की जाय तो, इसकी वकालत करने वाले लोगों का अपना एक बिजनेस है।

इसलिये हमें अपनी बुद्धि का इस्‍तेमाल करते हुये निर्णय लेना होगा कि उचित समय में हमारे लिये Ayurveda VS Allopathy  मे कौन सी पद्धित सही होगी।

वैसे मैं आपको यह बता दूं कि मैं भी अपने आप को स्‍वस्‍थ रखने के लिये आयुर्वेद का इस्‍तेमाल ज्‍यादा करता हूं,

लेकिन आपको यह जान लेना जरूरी है कि आयुर्वेद के ग्रंथो में आयुर्वेद के साथ योग व दैनिक खानपान को सही तरीके से अपनाने के लिये कहा गया है।



जबकि जो लोग आयुर्वेद का पक्ष ले रहे हैं वो कभी भी इस बात को आपके सामने नहीं रखते हैं कि आप सिर्फ आयुर्वेद की दवा खाने से ही पूरी तरह स्‍वस्‍थ नहीं हो जाओगे,

आपको पूरी तरह से स्‍वस्‍थ होने के लिये योग, आयुर्वेद और दैनिक दिनचर्या का पूरा ख्‍याल रखना होगा। जिसमें योग बहुत ही महत्‍वूपर्ण है,

लेकिन दुर्भाग्‍यवश योग को धीरे-धीरे पीछे छोड दिया गया है और सिर्फ आयुर्वेद की बात होने लगी है। वैसे पहले आप इस बात को समझ लीजिए कि आयुर्वेद की अपेक्षा योग का ज्‍यादा महत्‍व क्‍यों है –

आयुर्वेद के ग्रन्‍थों में लिखा है कि शरीर की 90% प्रतिशत बीमारी त्रिदोष यानि वात, कफ और पित्‍त के असंतुलित हो जाने से होती हैं। इसलिये आपको त्रिदोष संतुलित करने के लिये इस नियम को समझना होगा-

वात-  अगर आपका वात असंतुलित हो जाता है तो आप प्राण को बढा कर वात को संतुलित कर सकते हैं। प्राण को बढाने के लिये आप स्‍लो ब्रीदिंग के साथ प्रणायाम करें।

कफ-  अगर आपका कफ असंतुलित हो जाता है तो आप तेजस को बढा कर कफ को संतुलित कर सकते हैं। तेजस को बढाने के लिये आप आसन करें।

पित्‍त-  अगर आपका पित्‍त असंतुलित हो जाता है तो आप पित्‍त को बढा कर कफ को संतुलित कर सकते हैं।

ओजस को बढाने के लिये आप ज्‍यादा से ज्‍यादा रिलैक्‍स करें यानि जितना आप शांत होगें, उतना ही आप के अंदर ओजस का प्रसार होगा और ओजस बढाने के लिये मेडिटेशन करें।

तो आप इन सब बातों का विशेष ध्‍यान देते हुये इसे अपने जीवन में उतारने का प्रयास करें और अपनी दिनचर्या को नेचर के साथ जोडें, हरी सब्‍जी और ताजे फलों का ज्‍यादा सेवन करें इससे आप लंबे समय तक निरोगी रह सकते हैं।



आयुर्वेद और एलोपैथ में किसको अपनायें

अगर आप एक स्‍वस्‍थ व्‍यक्ति हैं और आप चाहते है कि भविष्‍य में बिमारियों का सामना न करना पडे तो आप योग, दैनिक दिनचर्या और आयुर्वेद को अपने लाइफस्‍टाइल में जरूर शामिल करें।

लेकिन यदि आप किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो आप उसमें एलोपैथी का सहारा ले सकते हैं। और इसके साथ दैनिक जीवन में

योग और आयुर्वेद को जरूर शामिल करें इससे आपको रोग से लडने के लिए ज्‍यादा शक्ति मिलेगी और जल्‍दी स्‍वस्‍थ हो सकते हैं।

इस प्रकार आप समझ गये होगें कि जीवन में लंबे समय तक स्‍वस्‍थ रहना है तो अपको आयुर्वेद के साथ योग को भी अपनाना होगा

और रही बात एलोपैथी की तो जब आप अपने दैनिक जीवन में खानपान, योग, ध्‍यान शामिल करेगें तो आपको बहुत ही कम अवसरों पर एलोपै‍थी का सहारा लेना पडेगा।



कुल मिलाकर नतीजा यही है कि हमे आयुर्वेद और एलोपैथी दोनों को लेकर चलना है, लेकिन कब किसकी आवश्‍यकता है उसको आप अपने स्‍वास्‍थ्‍य के अनुसार तय करें।

चलते चलते हम सभी को उनका धन्‍यवाद करना चाहिये जिन्‍होंने Ayurveda VS Allopathy बहस की शुरूआत की, जिनके कारण हम सभी को कुछ ना कुछ नया सीखने को मिला।

वैसे न मैं किसी के पक्ष में हूं और ना ही विपक्ष में। जो मेरे ज्ञान में सही था उसको आपके साथ साझा किया। अब इस बहस के बारे में आपकी क्‍या राय है?

हमें कमेंट करके जरूर बतायें साथ ही हमारा यह विचार आपको कैसा लगा? यह बताना न भूलें।

Ayurveda VS Allopathy लेख पढने के लिये आपका धन्‍यवाद।  


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