जिस भोजन से आपका का शरीर निर्मित होता है। उस भोजन के प्रति आप सदैव कृतज्ञ रहें। वैसे तो भारतीय सनातन संस्कृति में भोजन को देवता माना गया है। और भोजन करने से पहले भोजन मंत्र Bhojan Mantra बोलना आवश्यक बताया गया है।
ताकि हमारे ह्रदय में भोजन के प्रति सम्मान का भाव पैदा हो। इसलिये आज इस लेख हम आपको भोजन मंत्र हिंदी में, भोजन मंत्र संस्कृत मे, भोजन मंत्र का अर्थ और भोजन मंत्र का महत्व क्या होता है। इन सभी विषयों को सरल शब्दों में आपको समझाने का प्रयास करेंगे।
Bhojan mantra in sanskrit | भोजन मंत्र संस्कृत मे
वैसे तो हमारी भारतीय सनातन संस्कृति में भोजन मंत्र कई है, लेकिन मुख्य तीन मंत्र है। जिसमें सबसे पहले निम्न मंत्र को बोलकर शुरूआत करनी है।
ब्रह्मार्पणं ब्रह्महविर्ब्रह्माग्नौ ब्रह्मणा हुतम्।
ब्रह्मैव तेन गन्तव्यं ब्रह्मकर्म समाधिना।१।
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:
अर्थ- यह मंत्र गीता में चतुर्थ अध्याय का 24 श्लोक है। जिसका अर्थ है जिस यज्ञ में अर्पण अर्थात स्रुवा आदि भी ब्रह्म है, और हवन किये जाने योग्य द्रव्य भी ब्रह्म है, और ब्रह्म रूप कर्ता के द्वारा ब्रह्म रूप अग्नि में आहुति देना रूप क्रिया भी ब्रह्म ही है। उस ब्रह्म कर्म में स्थित रहने वाला योगी द्वारा प्राप्त किये जाने योग्य फल भी ब्रह्म ही है।
अन्न॑प॒तेन्न॑स्य नो देह्यनमी॒वस्य॑ शु॒ष्मिणः॑ ।
प्रप्र॑ दा॒तार॑न्तारिष॒ऽऊर्ज॑न्नो धेहि द्वि॒पदे॒ चतु॑ष्पदे ।२।
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:
अर्थ- यह मंत्र यजुर्वेद के ११ अध्याय का ८३ श्लोक है। हे परम पिता परमात्मा, हे नाना विधि अन्नों के दाता! नाना विधि अन्नों को हमें प्रदान कीजिए। रोग रहित व पुष्टिकारक अन्न हमें प्रदान कर ओज प्रदान कीजिए। हे अन्नदाता के मंगलकर्ता! ऐसा विधान कीजिए की प्राणिमात्र को भोजन प्राप्त हो और सभी सुख शांति को प्राप्त करें।
ॐ सह नाववतु।
सह नौ भुनक्तु।
सह वीर्यं करवावहै।
तेजस्विनावधीतमस्तु।
मा विद्विषावहै॥
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:।३।
अर्थ- यह बहुत प्रसिद्ध मंत्र जिसे स्कूलों में सिखाया जाता है। यह कठोउपनिषद का श्लोक है। इस मंत्र का अर्थ है कि हे सर्व रक्षक परमेश्वर! हम दोनों (गुरू और शिष्य) की साथ साथ रक्षा कीजिए। हम दोनों का साथ साथ पालन कीजिए। हम दोनो साथ साथ शक्ति प्राप्त करें। हम दोनों की पढी हुई शिक्षा ओजमयी हो। हम परस्पर कभी द्वेष न करें।
त्रिविध तापों की शाति हो।।
Bhojan mantra in Hindi | भोजन मंत्र हिंदी में
अन्न ग्रहण करने से पहले
विचार मन मे करना है
किस हेतु से इस शरीर का
रक्षण पोषण करना है।
हे परमेश्वर एक प्रार्थना
नित्य तुम्हारे चरणों में
लग जाये तन मन धन मेरा
विश्व धर्म की सेवा में ॥
भोजन पा लेने के बाद यदि आप चाहे तो निम्न मंत्र का उच्चारण कर सकते है, क्योकि निम्न मंत्र भोजन पा लेने के बाद किया जाता है।
अन्नाद् भवन्ति भूतानि पर्जन्यादन्नसंभवः।
यज्ञाद भवति पर्जन्यो यज्ञः कर्म समुद् भवः।।
भोजन मंत्र का महत्व
एक बात जो आज का विज्ञान भी प्रमाणित करता है कि आप जिस भी महौल में भोजन करते है। आपके शरीर में उसी माहौल से सम्बन्धित रसायन का निर्माण होता है।
यदि आप भोजन करते समय क्रोध करते है तो आपके शरीर में हानिकारक रसायन का निर्माण होगा। यदि आप भोजन करते समय शांत रहते है तो आपके शरीर में लाभकारक रसायन का निर्माण होगा।
इसी से सनातन संस्कृति में भोजन करने से पूर्व, भोजन मंत्र का उच्चारण करना लाभकारी बताया गया है। जब आप भोजन मंत्र का उच्चारण करते है तो आपका मन शांत होता है।
और आप भोजन के प्रति सम्मान से भर जाते है, जिससे एकाग्र मन होकर भोजन का आन्नद ले पाते है। आपके शरीर में विषैले रसायन का निर्माण नही होता है। और आप एक सुखी जीवन जीते है।
इस प्रकार आप समझ गये होगें कि भोजन करने के पूर्व भोजन मंत्र के उच्चारण का क्या महत्व है। फिर यदि आपके मन में कोई सवाल या सुझाव है तो हमें कमेंट करके जरूर बतायें। हम आपके कमेंट का इंतजार करते है।
इस Bhojan Mantra को पढने के लिये आपका धन्यवाद।
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