छठ पूजा उत्तर भारत का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। जिसे सभी हिंदू धर्म को मानने वाले बडे धूम धाम से इस त्यौहार को मनाते है। इस लेख में आपको Chhath Puja से सम्बन्धित लगभग सभी प्रश्नो का उत्तर पढने को मिलेगा इसलिये लेख ध्यान से पढे ताकि छठ पूजा कब है, क्यों मनाया जाता है और कैसे मनाया जाता है। इन सभी के बारे में अच्छे से समझ पायें।
Chhath Puja 2021 kab hai | छठ पूजा कब है
हिंदू पंचाग के अनुसार छठ तिथि प्रत्येक माह आती है, लेकिन कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की षष्ठी का विशेष महत्व है। इसलिये Chhath Puja (2021) 10 नवम्बर दिन बुधवार को है। कार्तिक छठ को डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है।
- 8 नवंबर (सोमवार) नहाय खाय से छठ पूजा की शुरुआत।
- 9 नवंबर (मंगलवार) खरना।
- 10 नवंबर (बुधवार) छठ पूजा, डूबते सूर्य को अर्घ्य।
- 11 नवंबर (गुरुवार) उगते हुए सूर्य को अर्घ्य, छठ पूजा समापन।
Chhath Puja kyon manae jaati hai | छठ पूजा क्यों मनाया जाता है
भगवान सूर्य को समर्पित छठ पर्व विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखण्ड जैसे प्रदेशों में बहुत धूम-धाम से चार दिनों तक मनाया जाता है। छठ पर्व क्यों मनाया जाता है, इसको लेकर कई पौराणिक कथायें प्रचलित है। जैसे कि-
कथा प्रथम- पुराणों के अनुसार इस पूजा की शुरूआत भगवान राम के समय से शुरू हुई थी। जब श्री राम, रावण का वध करके लंका से अयोध्या वापस लौटे तो उन्होने कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को छठी मइया का व्रत अपनी पत्नी सीता के संग धर्म स्थापित करने के लिये किया और भगवान सूर्य की पूजा की । तभी से इस व्रत को त्यौहार के रूप में मनाया जाने लगा।
कथा द्वितीय- महाभारत के अनुसार महाबली कर्ण अपने पिता भगवान सूर्य की पूजा नित्य किया करते थे। जिससे भगवान सूर्य ने उन्हे महाबली होने का आर्शीवाद दिया, तभी से ऐसी मान्यता है कि छठ पूजा की शुरूआत हुई।
कथा तृतीय- ऐसा कहा जाता है कि जब पाण्डव अपना सम्पूर्ण राजपाठ जुयें मे हार गये थे, तब द्रौपदी ने छठी मइया का व्रत रखा था। जिससे पाण्डवों को गंवाया हुआ धन वापस मिल गया था। तभी से ऐसी मान्यता है कि छठ पूजा की शुरूआत हुई।
Chhathi maiya kaun hai | छठी मइया कौन है
छठी मइया को मां कात्ययानी के नाम से जाना जाता है जोकि ब्रम्हा जी की पुत्री और भगवान सूर्य की बहन है। कात्ययानी माता पूजा नवरात्र के षष्ठी को की जाती है। छठी मइया की पूजा करने से सभी प्रकार के कष्टों से छुटाकरा मिलता है।
छठ पूजा कैसे मनाते हैं |Chhath Puja vidhi
छठ पूजा मुख्य रूप चार दिन की होती है, इसलिये चारों दिन का अपना विशेष महत्व होता है। नहाय खाय से पूजा की शुरूआत होती है।
पहला दिन- नहाय खाय से छठ पूजा की शुरूआत हो जाती है। इस दिन बिहार में कद्दू भात भी कहते है। नहाय खाय के दिन साधक पवित्र नदी मां गंगा में स्नान करके, सूर्य भगवान की पूजा करता है। प्रसाद के रूप में कद्दू की सब्जी, चना की दाल और अरवा चावल को खाया जाता है जो शुध्द घी में बना होता है।
द्वितीय दिवस को खरना कहा जाता है।। खरना को लोहंडा के नाम से पुकारा जाता है। इस दिन साधक उपवास रखता है और फिर रात्रि को खीर का प्रसाद ग्रहण करता है। खीर का प्रसार ग्रहण करने के बाद फिर अगले 36 घंटे का उपवास शुरू हो जाता है। इसी दिन साधक छठी मइया की पूजा के लिये प्रसाद बनाता है।
तृतीय दिवस जिसे छठ पूजा कहा जात है। इस दिन छठ मइया और भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। शाम को ढलते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
चतुर्थ दिवस छठ पूजा का उद्यापन किया जाता है। उगते हुये सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है और फिर छठ व्रत का समापन हो जाता है।
- नहाय-खाय के दिन सभी साधक शुद्ध घी में प्रसाद को ही ग्रहण करते हैं।
- खरना के दिन शाम के समय गुड़ की खीर और पूरी बनाकर छठी माता को भोग लगाया जाता हैं। खीर के रूप में प्रसाद को सबसे पहले साधक ग्रहण करता है और फिर परिवार के अन्य सभी सदस्य।
- छठ पूजा के दिन घर में बने हुए पकवान, फल आदि को बड़ी टोकरी में भरकर पवित्र नदी के तट पर ले जाया जाता है।
- साधक पवित्र नदी के तट पर गन्ने का घर बनाकर एक दीपक जलाता हैं।
- साधक पवित्र नदी के जल में खडे होकर दोनों हाथों से जल का अर्घ्य भगवान सूर्य को देता हैं।
- इसी प्रकार छठ पूजा सम्पन्न् हो जाती है।
छठ पूजा सामग्री
छठ पूजा करने के लिए नए कपड़े, दो बड़ी बांस की टोकरी, सूप, पानी वाला नारियल, गन्ना, लोटा, लाल सिंदूर, धूप, बड़ा दीपक, चावल, थाली, दूध, गिलास, अदरक, कच्ची हल्दी, केला, सेब, सिंघाड़ा, नाशपाती, मूली, आम के पत्ते, शकरगंदी, सुथनी, मीठा नींबू (टाब), मिठाई, शहद, पान, सुपारी, कैराव, कपूर, कुमकुम और चंदन आदि पूजा सामग्री में शामिल है।
छठ पूजा का महत्व
छठ पूजा भगवान सूर्य की विशेष कृपा पाने के लिये बहुत महत्वपूर्ण है। इस पूजा को करने से नि:संतान दंपत्तियों को संतान की प्राप्ति होती है। लोकमत के अनुसार इस व्रत करने से संतान उम्र बढती है और वो एक खुशहाल जीवन व्यतीत कर पाता है। इसके साथ साथ परिवार में सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।
चलते चलते
इस प्रकार मुझे आशा है कि आप छठ पूजा से जुडी लगभग सभी जानकारी पा गये होगें, फिर भी यदि आपको लगता है कि कुछ जानकारी छूट गयी है तो हमें कमेंट करके जरूर बतायें। ऐसी ही अध्यात्म संबधित जानकारी पाने के लिये कथा स्टार से जडे रहे। Chhath Puja (2021) पढने के लिये आपका धन्यवाद।