मेरे प्यारे पाठकों आपने Hanuman ji ki prathna श्री हुनमान जी की प्रार्थना करने के लिये कई विधि विधान या फिर हनुमान चलीसा, हनुमान आरती और बजरंग बाण आदि जैसे कई माध्यम के बारे में जानते होगें,
लेकिन जो प्रार्थना इस लेख के माध्यम से आपको पढने के लिये मिलेगी वो सबसे अलग और बहुत ही करूणामयी है। आप जब श्री हुनमान जी की प्रार्थना करे तो इस प्रार्थना को एक बार जरूर करें। आप कुछ दिन शांत मन से यह प्रार्थना करेगें तो आप धीरे-धीरे मन के विकारों से मुक्त होते चले जायेगें।
वैसे आपको यह बता दूं कि जिस प्रार्थना को आप पढ रहे है वह पूज्य श्री राजेश्वरानंद जी महाराज के द्वारा लिखी गयी है।
प्रार्थना है यही मेरी हनुमानजी
प्रार्थना है यही मेरी हनुमानजी, मेरे सिर पे भी अब हाथ धर दीजिए
राम सीता का दर्शन कराके मुझे, मेरे सपने को साकार कर दीजिए।
दुख देते मुझे मेरे ही पाप हैं,
मेरे मन में है जानते आप हैं,
आप हर रूप हैं इसलिए कर कृपा,
मेरी हर एक चिंता को हर लीजिए।
मैं भावुक तो हॅू पर नहीं भक्त हॅू,
इसी कारण तो विषयों में आसक्त हॅू,
वासन मुक्त कर मेरे मन को प्रभु,
राम सीता की भक्ति से भर दीजिए।
तन निरोगी रहे धन भी भरपूर हो,
मन भजन में रहे द्वंद दुख दूर हो,
कर्ज भी न रहे मर्ज भी न रहे,
फर्ज निभता रहे ऐसा वर दीजिए।
मैं कथा भी कहॅू तो सिया राम की,
मैं शरण भी रहॅू तो सिया राम की,
सृष्टि राजेश दीखे सियाराममय,
दास की दृष्टि में वो असर दीजिए ।
प्रार्थना है यही मेरी हनुमानजी, मेरे सिर पे भी अब हाथ धर दीजिए
राम सीता का दर्शन कराके मुझे, मेरे सपने को साकार कर दीजिए।
इस प्रार्थना को आप महाराज जी के श्री मुख से गाये गये भजन के माध्यम से भी आप सुन सकते है। मुझे आशा है कि यह श्री हुनमान जी की प्रार्थना आपको पसंद आई होगी।
यदि आपके मन में काई सवाल यह सुझाव है तो हमें कमेंट करके जरूर बाताये। Hanuman ji ki prathna लेख पढने के लिये आपका धन्यवाद।