यदि आप भगवान कुबेर की पूजा अराधना करते है, तो आपको श्री कुबरे चालीसा और श्री कुबेर आरती(Kuber Aarti) का पाठ अवश्य करना चाहिये।
शास्त्रों के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति श्री कुबरे जी की नित्य अराधना करता है। उसको धन धान्य की कभी कमी नही होती है और उसकी सभी मनोकामनांए पूरी होती है। यदि आप कुबेर जी की पूजा करते है, श्री गणेश आरती और मां लक्ष्मी जी की आरती करना ना भूलें।
Shri Kuber ji ki Aarti
ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे ,
स्वामी जै यक्ष जै यक्ष कुबेर हरे।
शरण पड़े भगतों के,
भण्डार कुबेर भरे।
॥ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥
शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े,
स्वामी भक्त कुबेर बड़े।
दैत्य दानव मानव से,
कई-कई युद्ध लड़े ॥
॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥
स्वर्ण सिंहासन बैठे,
सिर पर छत्र फिरे,
स्वामी सिर पर छत्र फिरे।
योगिनी मंगल गावैं,
सब जय जय कार करैं॥
॥ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥
गदा त्रिशूल हाथ में,
शस्त्र बहुत धरे,
स्वामी शस्त्र बहुत धरे।
दुख भय संकट मोचन,
धनुष टंकार करें॥
॥ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥
भांति भांति के व्यंजन बहुत बने,
स्वामी व्यंजन बहुत बने।
मोहन भोग लगावैं,
साथ में उड़द चने॥
॥ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥
बल बुद्धि विद्या दाता,
हम तेरी शरण पड़े,
स्वामी हम तेरी शरण पड़े
अपने भक्त जनों के ,
सारे काम संवारे॥
॥ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥
मुकुट मणी की शोभा,
मोतियन हार गले,
स्वामी मोतियन हार गले।
अगर कपूर की बाती,
घी की जोत जले॥
॥ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…॥
यक्ष कुबेर जी की आरती ,
जो कोई नर गावे,
स्वामी जो कोई नर गावे ।
कहत प्रेमपाल स्वामी,
मनवांछित फल पावे।
॥ इति श्री कुबेर आरती ॥
वैसे तो आप श्री कुबेर जी की सप्ताह के प्रत्येक दिन पूजा अराधना कर सकते है, लेकिन माह की त्रयोदशी को विशेष पूजा अर्चना की जाती है। इसलिये श्री कुबेर जी को प्रसन्न करने के लिये त्रयोदशी को पूजा अवश्य करें।
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